रानीखेत की जमीन खरीद के फर्जीवाड़े में छुपी है असली कहानी


पड़ताल- उत्त्तराखण्ड के आईपीएस अमित श्रीवास्तव , अपूर्व जोशी, गीतिका क्वीरा, श्याम सिंह व बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की अवैध सम्पत्ति अर्जित करने की कहानी से जुड़े हैं कई राज

दिल्ली सचिवालय में तैनात संयुक्त सचिव एवी प्रेमनाथ ने खरीदी थी जमीन

रानीखेत की जमीन खरीद के फर्जीवाड़े में छुपी है असली कहानी

प्रेमनाथ ने सीजेएम अभिषेक श्रीवास्तव व आईपीएस अमित श्रीवास्तव के खिलाफ की शिकायतें

अविकल उत्त्तराखण्ड

नई दिल्ली/ देहरादून। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उत्त्तराखण्ड के आईपीएस अमित श्रीवास्तव व अन्य के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों की तह में कई राज छुपे हुए हैं। मामले की पड़ताल में कई कहानियां सामने आ रही है।

लगभग 11 साल पहले रानीखेत में फर्जी कागजात के जरिये हुए जमीन के सौदे में ही इस प्रकरण की पूरी कहानी छुपी हुई है। यह जमीन दिल्ली सचिवालय में ज्वाइन्ट सचिव के पद तैनात  ए वी प्रेमनाथ ने रानीखेत में अपने स्कूल के पास खरीदी। जमीन किसी चंद्रमोहन सेठी से खरीदी गई। फर्जी कागजात के जरिये धोखाधड़ी से खरीदी गई जमीन को लेकर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। यह मुकदमा अल्मोड़ा के सीजेएम अभिषेक श्रीवास्तव की कोर्ट में चला। प्रेमनाथ व  पत्नी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकला। इस बीच, चंद्रमोहन सेठी कनाडा चला गया। अब सेठी इस पूरी फिल्म में कहीं नहीं है।

बहरहाल, मामले में स्वंय को फंसता देख प्रेमनाथ ने सीजेएम अभिषेक श्रीवास्तव की शिकायत नैनीताल हाईकोर्ट Highcourt में की। लिहाजा, इस मामले की जॉच तत्कालीन एसपी विजिलेंस अमित श्रीवास्तव को सौंपी गई। विजिलेंस जांच में प्रेमनाथ व उसकी पत्नी दोषी पायी गयीं । और  विजिलेंस्र ने हल्द्वानी में विभिन्न धाराओं में दोनों पर मुकदमा दर्ज कर दिया। यह 2020 की बात है। इसके बाद से ही एवी प्रेमनाथ ने आईपीएस अमित श्रीवास्तव की घेराबंदी शुरू कर दी। और कई सौ करोड़ की अवैध सम्पत्ति जमा करने के लिखित आरोप लगे। बैंक फ्रॉड से जुड़े यह आरोप मोहन सिंह बिष्ट नामक व्यक्ति ने लगाए।

इस बीच, जमीन की धोखाधड़ी समेत अन्य मामलों को लेकर अपूर्व जोशी ने अपने समाचार पत्र में प्रेमनाथ के खिलाफ खबरें प्रकाशित की।  यहां एक बैंक फ्रॉड में आईपीएस अमित श्रीवास्तव व अपूर्व जोशी के एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के व्यापार में करोड़ों की अवैध सम्पत्ति अर्जित करने का एक मामला भी सामने आया। इसमें बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आयी। केंद्रीय सतर्कता आयोग मामले की जांच कर रहा है।

इसके बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग, cvc सीबीआई cbi व सुप्रीम कोर्ट supreme court में पहले मोहन सिंह  और बाद में निशांत रोहेला के नाम से दायर प्रार्थना पत्र / रिट में एसपी अमित श्रीवास्तव व अपूर्व जोशी को एक्सपोर्ट इम्पोर्ट के धंधे में साझीदार बताते हुए धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए कमाने के आरोप लगाए गए। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह मुद्दा भी प्रमुखता से है।

उधर, आईपीएस अमित श्रीवास्तव का कहना है कि हो कभी भी अपूर्व जोशी से मिले ही नहीं और न ही कभी टेलीफोन पर ही कोई बात हुई।

इसके बाद मामले ने दूसरा मोड़ लिया। एसपी श्रीवास्तव व अन्य की शिकायत करने वाले व्हिसल ब्लोअर मोहन सिंह की अगस्त 2021 में सड़क दुर्घटना में ‘”मौत” हो जाती है। यह भी जांच का विषय है कि मोहन सिंह कौन थे और किन हालात में मौत हुई। यह भी कम बड़ा रहस्य नहीं है।

ताजे घटनाक्रम के तहत इस मामले में रिट दायर करने वाले उत्तर प्रदेश निवासी निशांत रोहेला ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया था जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर प्रश्नों की झड़ी लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के इस ताजे आदेश के बाद उत्त्तराखण्ड में विशेष हलचल देखी जा रही है।

मोहन सिंह व निशांत रोहेला की सभी रिट व शिकायतों के पीछे कौन है यह भी रहस्य बना हुआ है। फिलहाल,  भूमि विवाद वाले मामले में प्रेमनाथ ने गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे लिया हुआ है जबकि कुसुम यादव जेल में है।

सुप्रीम कोर्ट में चलने वाली सुनवाई में बैंक धोखाधड़ी, साजिश व हत्या से जुड़े मामले के असली दोषियों के चेहरे से पर्दा उठने की पूरी उम्मीद है।

विस्तार से पढ़िए इस पूरे मामले को

अभियुक्त ए वी प्रेमनाथ दिल्ली सचिवालय में ज्वाइन्ट सचिव के पद तैनात है जिनके खिलाफ दिल्ली एंटी करप्शन विभाग में भी एक एफ आई आर पूर्व में दर्ज है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट निशांत रोहाल के नाम से की गई है जिसमें अमित श्रीवास्तव के ऊपर अपूर्व जोशी एवं गीतिका क्वीरा के माध्यम से कई सौ करोड़ रूपए की अवैध संपत्ति जमा करने एवं अन्य धोखाधड़ी के अनर्गल आरोप लगाए गए हैं। बैंक फ्रॉड का यह बड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

आईपीएस अमित श्रीवास्तव का कहना है कि अपूर्व जोशी/ गीतिका को न तो व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, उनकी अपूर्व जोशी या गीतिका क्वीरा से न तो कभी कोई मुलाक़ात हुई है न ही कभी कोई टेलीफोनिक बातचीत हुई।

वर्ष 2011 में कोतवाली रानीखेत/अल्मोड़ा में ज़मीन की ख़रीद-फरोख्त में धोखाधड़ी के एक मुकदमे में लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अभियुक्त आशा यादव और उसके पति ए वी प्रेमनाथ ने कुसुम चौधरी / यादव के माध्यम से  अभिषेक कुमार श्रीवास्तव, सिविल जज (सीडी) अल्मोड़ा के विरुद्ध एक झूठी शिकायत  उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल में की। उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा प्रकरण की जांच विजिलेंस सेल हाई कोर्ट नैनीताल को सौंपी गई। यह जांच एसपी विजिलेंस अमित श्रीवास्तव ने की।

जांच में अभियुक्तगण आशा यादव तथा ए वी प्रेमनाथ का कुसुम चौधरी / यादव के साथ मिलकर षडयंत्र करना पाया गया। जांच रिपोर्ट पर  उच्च न्यायालय  नैनीताल द्वारा संज्ञान लेते एस पी विजिलेंस हाई कोर्ट अमित श्रीवास्तव के माध्यम से सतर्कता अधिष्ठान नैनीताल हल्द्वानी में अभियुक्तगण के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कर विवेचना करने के आदेश दिये गये।

सतर्कता अधिष्ठान  हल्द्वानी में एफ आई आर सं 3/2021 धारा 420, 468, 469, 471, 120बी, 186, 153 ए भादवि तथा 66 सी 66 डी आई टी एक्ट पंजीकृत कर विवेचना की गई। विवेचना के दौरान भी यह तथ्य साबित हुआ कि अभियुक्तगणों आशा यादव, ए वी प्रेमनाथ तथा कुसुम चौधरी ने षडयंत्र रचते हुए  उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल को झूठी शिकायत की थी। यह भी जानकारी हुई कि जांच के दौरान judgesofuttarakhand@gmail.com के नाम से एक फर्जी मेल आई डी बनाकर उत्तराखण्ड के विभिन्न न्यायिक अधिकारियों को माननीय उच्च न्यायालय के खिलाफ़ भड़काने की नीयत से मेल भी प्रेषित की गई थी। विवेचना के दौरान ए वी प्रेमनाथ द्वारा फर्जी मेल आई डी बनाया जाना एवं प्रेषित किया जाना साबित पाया गया।

अभियुक्त गण आशा यादव तथा ए वी प्रेमनाथ ने मा0 उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल से गिरफ्तारी स्टे ले लिया। अभियुक्ता कुसुम यादव को धारा 420, 468, 469, 471, 120बी, 186, 153 ए भादवि तथा 66 सी 66 डी आई टी एक्ट  में  गिरफ्तार किया जा चुका है।

अभियुक्त ए वी प्रेमनाथ दिल्ली सचिवालय में ज्वाइन्ट सचिव के पद तैनात है जिनके खिलाफ दिल्ली एंटी  क्रप्शन विभाग में भी एक एफ आई आर पूर्व में दर्ज है। दंपत्ति की एक संस्था प्लीजैंट वैली फाउण्डेशन स्कूल कोसी- बगवाली पोखर रोड पर डांडा कांडा रानीखेत नामक स्थान पर स्थित है तथा अल्मोड़ा जनपद में अन्य भू संपत्तियां भी हैं।

आईपीएस अमित श्रीवास्तव का कहना है कि  अपूर्व जोशी ने ज़मीन की धोखाधड़ी से सम्बंधित मुद्दों पर ए वी प्रेमनाथ एवं आशा यादव के खिलाफ़ अपने समाचार पत्र में जानकारियाँ प्रकाशित की थीं। इसके बाद अमित श्रीवास्तव व अपूर्व जोशी का एक्सपोर्ट इम्पोर्ट के धंधे में बैंक फ्रॉड का मामला सामने आया।

आईपीएस अमित श्रीवास्तव का कहना है कि गिरफ्तारी से बचने और मुकदमे में लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से ए वी प्रेमनाथ ने ही ये रिट माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल करवाई है। पूर्व में भी वो झूठी शिकायतें अमित श्रीवास्तव के खिलाफ करता रहा है।

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निशांत रोहेला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में निम्नलिखित आरोप लगाए गए थे। इसी याचिका को वापस लेने के अनुरोध को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नकार दिया था। याचिकाकर्ता अब क्यों याचिका वापस लेना चाहता है। इस सवाल किसे भी पर्दा उठना जरूरी है। देखिये रिट में यह आरोप लगाए- साभार लाइव लॉ.इन

याचिका में आईपीएस अमित श्रीवास्तव , अपूर्व जोशी, गीतिका क्वीरा, यूनियन बैंक के ऑफ़िसर्स, एक चार्टर्ड एकाउंटेंट और दरोगा श्याम सिंह पर करोड़ों के गोलमाल और व्हिसल ब्लोवर मोहन सिंह की सड़क दुर्घटना में हत्या कराने का आरोप लगाया है।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि व्हिसल ब्लोवर मोहन सिंह ने उत्तराखंड के आईपीएस अमित श्रीवास्तव पर
करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी, आय से अधिक सम्पत्ति और बेनामी कंपनियों के जरिए गम्भीर आर्थिक अपराध करने के आरोप लगाते 4 अगस्त 2021 को CBI डायरेक्टर और Central Vigilance Commission को शिकायत की थी लेकिन 21 अगस्त 2021 को व्हिसल ब्लोवर की हत्या कर दी जाती है और इसे सड़क दुर्घटना का नाम देकर FIR तक दर्ज नहीं की जाती है।

याचिकाकर्ता ने व्हिसल ब्लोवर की सुरक्षा ( Public Interest Disclosure and Protection of Informers: PIDPI) से लेकर Central Vigilance Commission (CVC) सहित तमाम मंचों तक Union Bank of India के mega loan fraud में हुए करोड़ों के गोलमाल की CBI जाँच की माँग की थी। इसमें IPS अमित श्रीवास्तव, और उनके डमी सहयोगियों के तौर पर गीतिका क्वीरा और अपूर्व जोशी यूनियन बैंक और सिंडिकेट बैंक के भ्रष्ट अफ़सरों, फ़र्ज़ी सप्लायर्स, ऑडिटर्स, फेब्रीकेटिड बुक्स एंड डॉक्यूमेंट्स, झूठे और जाली काग़ज़ात, टैक्स इनवॉइस, फ़र्ज़ी बिल और रिसिप्ट, चार्टेड अकाउंटेंट और उत्तराखंड पुलिस के सब इंस्पेक्टर श्याम सिंह रावत के साथ मिलीभगत कर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की। आरोप है कि इस तरह 31 करोड़ रुपए बिना ब्याज के इन बैंकों से लेकर अपनी बेनामी कंपनियों में डमी डायरेक्टरों, बैंक अफ़सरों की मदद से लिए और फर्जीवाड़ा कर 100 करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट incentives सहित करोड़ों की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की गई।

याचिका में आईपीएस अमित श्रीवास्तव पर फर्जीवाड़ा और आपराधिक कृत्य कर 125 करोड़ रुपए का चूना कॉरपोरेशन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और सिंडिकेट बैंक को लगाया। जबकि अपनी बेनामी कंपनियों की मदद से एक्सपोर्ट बेनेफिट्स और टैक्स छूट का फर्ज़ीवाड़ा कर 150 करोड़ से अधिक का चूना लगाया है। याचिका में जाँच की आँच के डर से सबूत मिटाने के आरोप भी आईपीएस अमित श्रीवास्तव पर लगे हैं।

याचिका में कहा गया है कि बिज़नस पार्टनर के तौर पर अपूर्व जोशी और उनकी पत्नी गीतिका क्वीरा को आईपीएस अमित श्रीवास्तव ने अपनी बेनामी कंपनी M/s Sheen India Pvt. Ltd and M/s Sarveshwar Creations Pvt. Ltd. के डायरेकटर बनाए।

याचिका में गंभीर आरोप लगाया गया है कि संडे पोस्ट अखबार के संपादक अपूर्व जोशी और उनकी पत्नी गीतिका क्वीरा की आईपीएस अमित श्रीवास्तव के साथ ‘पार्टनर इन क्राइम’ यानी शैल कंपनियों के ज़रिए बैंकों और भारत सरकार को चूना लगाने के आर्थिक अपराध में बराबर की सहभागिता रही है। इतना ही नहीं याचिका में जम्मू और कश्मीर के एक व्यक्ति के मर्डर में अपूर्व जोशी के इनवॉल्वमेंट का आरोप भी लगाया गया है।

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