फिल्म घरजवैं के जय बद्री केदार गाने में वाचस्पति ड्यूंडी ने घोली मिठास

चार धाम के इस गाने के लिए नेगीदा ने किया दोस्त पर भरोसा


-घरजवैं के गीत जय बद्री केदारनाथ, गंगोेत्री जय-जय, यमुनोत्री जय-जय की कहानी


विपिन बनियाल/”अविकल उत्तराखंड


-सुपरहिट गढ़वाली फिल्म घरजवैं तोे आपको याद हैं ना। इसकी शुरूआत भी याद होगी, जबकि जय बद्री केदारनाथ, गंगोत्री जय-जय, यमुनोत्री जय-जय गीत गूंजता है। मधुर गीत-संगीत और कानों में मिठास घोलती आवाज। चार धाम की महिमा के बखान की जब भी बात हो, इस गीत का जिक्र एक अनिवार्य शर्त की तरह हो गया है।

विशेश्वर दत्त नॉटियाल

यह गीत पूरी तरह से नरेंद्र सिंह नेगी का गीत है, फिर भले ही इस गीत में उनकी आवाज नहीं सुनाई देती। आवाज उनके दोस्त और शानदार गायक वाचस्पति ड्यूंडी की है। फिल्म के निर्माता विशेश्वर दत्त नौटियाल की हार्दिक इच्छा थी कि फिल्म की शुरूआत में चार धाम का एक गाना जरूर हो। फिल्म की कहानी इसी गाने के बाद आगे बढ़े। नौटियाल की इस इच्छा को बखूबी पूरा किया नरेंद्र सिंह नेगी ने और एक एक ऐसा खूबसूरत गाना सामने आ गया, जो चार धाम के प्रति अटूट आस्था की मजबूत आवाज है। इस गाने के लिए नेगीदा ने नैनीताल से अपने दोस्त वाचस्पति ड्यंूडी को खास तौर पर बुलाया और उन्हीं की आवाज में गाना रिकार्ड कराया।


दरअसल, घरजवैं फिल्म में नरेंद्र सिंह नेगी की भूमिका संगीतकार और गायक बतौर ही तय की गई थी। मगर फिल्म के निर्माता विशेश्वर दत्त नौटियाल की इच्छा पर चार धाम वाला गाना नेगीदा ने खुद लिखा, जबकि चिट्ठी समेत फिल्म के बाकी सारे हिट गीत देवी प्रसाद सेमवाल की कलम से निकले।

लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी

फिल्म के गीतकार देवी प्रसाद सेमवाल के अनुसार, चार धाम वाला गाना फिल्म का पहला गाना जरूर है, लेकिन यह सबसे आखिर में तैयार किया गया।
जय बद्री केेदारनाथ के रूप में जितनी खूबसूरत रचना नेगीदा ने की, उतनी ही खूबसूरती के साथ उसे गा कर वाचस्पति ड्यूंडी ने इस गीत के साथ न्याय किया। नेगीदा ने बाद में अपने इस दोस्त से उत्तराखंडी फिल्म छम घुंघरू में भी धार्मिक मिजाज का गाना गंवाया, जिसके बोल थे-सत दिखणू च, असत दिखणूं च।

एक बातचीत में नरेंद्र सिंह नेगी भी मानते हैं कि वाचस्पति ड्यूंडी ने बेहद खूबसूरती से चार धाम वाला गीत गाया है। नेगी के अनुसार, फिल्म में एक ही आवाज लोगों को बोर न करे, इसलिए अलग-अलग गायकों को लेने की सोची गई थी। वाचस्पति ड्यूंडी मेरे मित्र तो थे ही, एक अच्छे गायक भी थे। इसलिए उन्हें इस गाने के लिए चुना गया, जो कि सही फैसला साबित हुआ।

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