एक महीने बाद एसआईटी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही लिया जाएगा अंतिम निर्णय
अभ्यर्थियों के फीडबैक, कोर्ट के निर्णयों सहित अन्य बिंदुओं पर विचार-विमर्श के बाद आयोग परीक्षा निरस्त करने के पक्ष में नहीं
22 केंद्र व 57 अभ्यर्थी ही चिन्हित हुए। कुल 188 परीक्षा केंद्र में हुई थी परीक्षा
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। पहले SIT जांच का इंतजार। फिर होगा फैसला फारेस्ट गार्ड भर्ती मामले में। आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने इस बाबत अभ्यर्थियों को संबोधित 6 पेज का विस्तृत नोट तैयार कर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है। कहा है कि गड़बड़ी के 22 केंद्र व 57 अभ्यर्थी ही चिन्हित हुए। कुल 188 परीक्षा केंद्र में हुई थी परीक्षा।
बडोनी के अनुसार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अभ्यर्थियों के फीडबैक, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों सहित अन्य बिंदुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद फॅारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा निरस्त करने के पक्ष में नहीं है। हालांकि, इस पर एक महीने बाद एसआईटी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नयी व्यवस्था आने से अभ्यर्थियों में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने में आएगी।
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आयोग का कहना है कि पूरी परीक्षा को निरस्त करने का औचित्य नहीं है, क्योंकि गड़बड़ी का परिणाम सीमित है। जबकि, ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है, जिन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है। लगभग एक लाख अभ्यर्थियों ने 188 परीक्षा केंद्रों में परीक्षा दी है। इसमें से केवल 57 अभ्यर्थी ही चिन्हित हुए हैं तथा 22 केंद्र अंतिम रुप से चिन्हित हुए हैं।
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आयोग का कहना है कि अभी तक एसआईटी जांच में 57 में से 26 अभ्यथियोें को चिन्हित नहीं किया जा सका है। भविष्य में इस तरह के मामले न हों, इसके लिए नकल में चिन्हित 31 अभ्यर्थियों के खिलाफ दीर्घ प्रतिबंध जैसी कार्रवाई की जा रही है।
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इसके अलावा जिन परीक्षा केंद्र पर पेपर लीक कराने की घटना हुई है, उन परीक्षा केंद्रों को आयोग की परीक्षाओं के लिए ब्लैक लिस्ट कर उस विद्यालय का विवरण विद्यालय शिक्षा विभाग को भेजकर जा रहा है।
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साथ ही यदि राज्य सरकार से इन विद्यालयों को कोई अनुदान या सहायता मिलती है तो उसे भी बंद कराने की सिफारिश की जा रही है।
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आयोग का कहना है इस मामले में एक कक्ष निरीक्षक को आपराधिक कृत्य में लिप्त पाया गया है, इसलिए उन्हें भविष्य में परीक्षा ड्यूटी देने के लिए आजीवन प्रतिबंधित कर उनके विद्यालय/नियंत्रक अधिकारी को उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की सिफारिश की जा रही है।
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इसके अलावा पूर्व में टिहरी में परीक्षा के दौराना मोबाइल से फोटो लेकर उसे परीक्षा कक्ष से बाहर भेजने वाले कक्ष निरीक्षक को भी आयोग की परीक्षाओं में ड्यूटी करने से 5 वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर उनके विद्यालय/नियंत्रक अधिकारी को उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की सिफारिश की जा रही है।
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