गैरसैंण लाठीचार्ज की मजिस्ट्रेटी जांच प्रदेश की जनता के सामने यक्ष प्रश्न बन कर खड़ी है। पुलिस के आलाधिकारी कठघरे में खड़े हैं । जख्म हरे हैं। महिलाओं पर पड़ी लाठियों का हिसाब त्रिवेंड रावत तो चुकता नहीं कर पाए। यह हिसाब चुकता करने का सारा भर नये सीएम तीरथ रावत के कंधों पर आन पड़ा है…क्यों भुला चैतू…
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। उत्त्तराखण्ड में निजाम बदल गया। नये नवेले सीएम तीरथ सिंह रावत ने कुछ फैसले पलटे। भाजपा सरकार के चार साल पूरे होने पर 18 मार्च के विधानसभावार होने वाले कार्यक्रम रद्द किए।
कोरोनाकाल में दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस लिये। इसके अलावा गैरसैंण को मंडल व चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन पर मंथन के बाद पुनर्विचार की बात कही।
हालांकि, और भी बहुत मुद्दे ऐसे हैं जिन पर जांच चल रही है और जनता इंतजार में है कि नये मुखिया इन मुद्दों पर क्या कदम उठाने वाले हैं। इनमें नन्दप्रयाग-घाट सड़क मार्ग के लिए दो महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर बर्बर लाठीचार्ज की घटना के दोषियों को दंडित करने का मुद्दा भी अहम है।
गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान एक मार्च को दिवालीखाल के पास हुए हुए लाठीचार्ज के जख्मों पर अभी तक मरहम नही लगा है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बेशक मजिस्ट्रेट जांच की बात कह कर मुद्दा शांत करने की कोशिश की थी लेकिन वह जांच किस लेवल पर है यह किसी को नहीं पता। दरअसल, बर्बर लाठीचार्ज के दौरान पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी स्वंय गैरसैंण में मौजूद थे। लेकिन लाठीचार्ज के बाद हुई गंभीर स्थिति के बावजूद बड़े अधिकारी तत्कालीन सीएम को यह समझाते रहे कि पहले पत्थरबाजी हुई।
पुलिसकर्मी घायल हुए और तब लाठीचार्ज हुआ। यही नही, कई आंदोलनकारियों पर मुकदमे तक ठोक दिए गए।पुलिस ने अपने तर्क के समर्थन में देर रात तक घायल एक पुलिसकर्मी का फोटो व पथराव का वीडियो भी जारी किया। जबकि महिलाओं समेत दर्जनों आंदोलनकारी भी घायल हुए। राज्य गठन के बाद ग्रामीण।पर्वतीय प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार और फिर जबर्दस्त लाठीचार्ज की इस घटना ने पूरे प्रदेश में उबाल ला दिया। और त्रिवेंद्र सरकार की मशीनरी के खिलाफ राज्यभर में प्रदर्शन होने लगे।
मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश को भी दो सप्ताह हो गए। इस बीच, भाजपा नेतृत्व ने अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाते हुए तीरथ रावत को कमान सौंपी है। इस शर्मनाक।लाठीचार्ज के दोषियों को अभी तक कोई दंड नही मिला। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि आखिर वे कौन आलाधिकारी थे जो सिचुएशन को हैंडल नहीं कर पाए।
गैरसैंण लाठीचार्ज की मजिस्ट्रेटी जांच प्रदेश की जनता के सामने यक्ष प्रश्न बन कर खड़ी है। पुलिस के आलाधिकारी कठघरे में खड़े हैं । जख्म हरे हैं। महिलाओं पर पड़ी लाठियों का हिसाब त्रिवेंड रावत तो चुकता नहीं कर पाए। यह हिसाब चुकता करने का सारा भर नये सीएम तीरथ रावत के कंधों पर आन पड़ा है। हिसाब कब चुकता करेंगे। यही नही,नियमों को शिथिल करते हुए इस मार्ग के दोहरीकरण का शासनादेश कब जारी करेंगे नये सीएम साहब.. इंतजार अब इसी बात का है क्यों भुला चैतू…
त्रिवेंद्र राज में इन मामलों की भी हो रही थी जांच। लेकिन रिजल्ट अब तक शून्य।
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गैरसैण लाठीचार्ज। एक कलंक। कब क्या हुआ था। एक clik पर पढ़िये
लाठीचार्ज…घाट कैंडल मार्च…उबाल, कुछ लोग फैला रहे अस्थिरता-त्रिवेंद्र
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