ताछुमा ताछुमा-नेगीदा की प्रयोगधर्मिता का नायाब उदाहरण
-अपने पुराने गीत में नेगीदा ने ताछुमा ताछुमा जोड़कर इसे और हिट बना दिया
विपिन बनियाल/अविकल उत्तराखंड
-उत्तराखंडी लोक संगीत का पुराना हो या फिर नया दौर, बहुत कुछ बदल चुका है या फिर बदल रहा है। मगर नरेद्र सिह नेगी का नाम और काम न बदला है और न ही बदलेगा। सौ कैरेट सोने की तरह हमेशा शुद्ध और चमकदार है नेगीदा का काम। उम्रदराज होने के बावजूूद बेहतर और गुणवत्ता वाले काम से नेगी दा का आज भी समझौता नहीं है। सक्रियता में भी कहीं कमी है।
12 अगस्त को जन्मदिन पर नेगीदा को ढेरांे शुभकामनाएं। नेगी दा की रचना और प्रयोगधर्मिता को लाखोें सलाम है। लोक संगीत के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए नेगीदा ने कई ऐसे प्रयोग किए हैं, जिसने लोकप्रियता की नई इबारत लिखी है। नेगीदा ने मशहूर बॉलीवुड गायक सुरेश वाडेकर की दमदार आवाज को साथ लेते हुए अपने एक पुराने गाने में नया प्रयोग किया और उसे और ज्यादा सुपरहिट कर दिया। यह गीत था कौथिग फिल्म का ताछुमा-ताछुमा।
अपने कैरियर के शुरूआती दौर में नरेंद्र सिंह नेगी की कैसेट अलबम में एक गीत आया, जिसे बहुत कामयाबी मिली। गीत के बोल थे-कै गांवा की होली स्य बांद, कन भली दिख्यांदी। नेगी दा के लिए इस गाने की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि आकाशवाणी से सबसे पहले उनका यही गाना प्रसारित हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि नेगी दा की आवाज वाले इस गाने में ताछुमा ताछुमा का कहीं इस्तेमाल नहीं है।
वर्ष 1986 में आई कौथिग फिल्म में नेगीदा पर कई सारी जिम्मेदारी एक साथ थीं। वह फिल्म में गायक के अलावा गीतकार और संगीतकार भी थे। फिल्म में सात गाने थे, जिनमे से दो गाने नरेंद्र सिंह नेगी ने खुद गाए हैं। बाकी के गानों के लिए उन्होंने सुरेश वाडेकर, सुषमा श्रेष्ठ, संतोष खेतवाल आदि गायकों की आवाज का इस्तेमाल किया था। चूंकि फिल्म की थीम कौथिग यानी मेले से जुड़ी थी, इसलिए एक ऐसे गाने की आवश्यकता महसूस हुई, जिसमें लोग नाचते-गाते हुए कौथिग यानी मेले तक पहुंचे। ऐसे में नेगीदा को याद आया अपना एक पुराना गाना-कै गांवा की होली स्य बांदा।
इसे नए कलेवर में पेश करने के बारे में नेगीदा ने सोचना शुरू कर दिया। फिर एक दिन उनके जेहन में अचानक उभरा-ताछुमा ताछुमा और यह लाइन नए गाने की जान बन गई।
कौथिग फिल्म में इस गाने को शामिल करते हुए नरेंद्र सिंह नेगी ने इसके लिए गायक बतौर सुरेश वाडेकर का चुनाव किया। ताछुमा ताछुमा गीत को सुरेश वाडेकर की दमदार आवाज का साथ मिला, तो इस गाने की लोकप्रियता और सफलता ने और विस्तार पा लिया। स्कूल-कालेजों के कार्यक्रमों से लेकर तमाम अन्य जगहों पर यह गाना अब नए अंदाज में ही बजता है। और तो और बॉलीवुड की नई सनसनी और उत्तराखंड के लाल जुबिन नौटियाल ने भी इस गाने को अपने अंदाज में गाकर नेगीदा के प्रयोग के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया है।
देखें वीडियो
यह अहम सवाल उठ सकता है कि जब पूर्व में नेगीदा ने इस गीत को खुद गाया था, तो फिल्म के गाने के लिए उन्होंने खुद की जगह सुरेश वाडेकर को क्यों चुना। इस सवाल का जवाब हमने नेगीदा से ही जानने की कोशिश की, तो उन्होंने बताया कि वह पहले कैसेट अलबम में यह गाना गा चुके हैं, इसलिए कोई नई आवाज होनी चाहिए थी। क्योंकि फिल्म में यदि एक ही आवाज बार-बार आए, तो यह अखरता है।
इसलिए सुरेश वाडेकर से यह गाना गंवाने का निर्णय लिया गया, जिसे उन्होंने शानदार ढंग से गाया। देखा जाए, तो नेगीदा और सुरेश वाडेकर की आवाज वाला यह गाना अपने दोनों ही रूपों में हिट है। ताछुमा ताछुमा जुड़ जाने से गाने की लोकप्रियता में और इजाफा हो गया है। नेगीदा की प्रयोगधर्मिता की इस कहानी को विस्तार से जानने के लिए धुन पहाड़ की यू ट्यूब चैनल का वीडियो जरूर देखें।
Pls clik
उत्तराखंडी फिल्मी गीतों में भी घोली है प्रसिद्ध गायक सुरेश वाडेकर ने मिठास
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245