कलालघाटी नहीं अब कण्व घाटी कहिये जनाब! भरत की जन्म स्थली कण्वाश्रम

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। राजा दुष्यंत व शकुंतला की प्रेम स्थली कण्व घाटी एक बार फिर चर्चा में है। उत्त्तराखण्ड के पौड़ी जिले की तहसील कोटद्वार के समीप स्थित कलालघाटी इलाके को अब कण्व घाटी के नाम से जाना जाएगा। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन 2000 की धारा 6 के तहत कलालघाटी का नाम बदल कण्व घाटी किया गया है। शासन में शहरी विकास सचिव शैलेष बगौली ने इस आशय के आदेश किये।

कोटद्वार से 12 किलोमीटर दूर कण्व ऋषि के नाम पर पौराणिक व ऐतिहासिक कण्वाश्रम है। विश्वामित्र व मेनका की पुत्री शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म यही मालन नदी के किनारे हुआ था। हस्तिनापुर राजा दुष्यंत और शकुंतला के बीच प्रेम इसी स्थान पर हुआ था। यहाँ प्रतिवर्ष मेला भी लगता है। इस इलाके को विभिन्न सरकारें पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने की बात कहती रही है। भरत के नाम पर ही देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। पुरातत्व विभाग की खुदाई में इस इलाके से मूर्तियां व ऐतिहासिक वस्तुएं मिलने की घटनाएं भी चर्चा में आई थी।

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