राहुल को “बख्शा” लेकिन हरदा पर “मेहरबान” हुए पीएम मोदी

अविकल थपलियाल

हल्द्वानी। पीएम मोदी की चार को दून व तीस दिसंबर की हल्द्वानी रैली में सिर्फ एक बड़ा अंतर नजर आया।

दून में प्रधानमंत्री ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर कोई प्रहार नहीं किया था। दून के सरकारी कार्यक्रम/चुनावी रैली में पीएम मोदी ने अधिकांश समय उत्त्तराखण्ड की विकास योजनाओं को गिनाने में किया था।

लेकिन हल्द्वानी के एमबी कालेज के मैदान में मोदी ने हरीश रावत का नाम तो नहीं लिया। लेकिन उनसे जुड़े एक मामले में हरीश रावत के बोलों को दोहरा कर जनता को पुरानी बातें याद दिलाई।

पीएम मोदी ने हरीश रावत का नाम लिए बिना कहा कि जो लोग उत्त्तराखण्ड को लूट लो मेरी सरकार बचा लो, कह रहे थे,वे लोग कुमाऊं छोड़कर चले गए। यहां से प्यार होता तो नही जाते।

मोदी ने हरीश रावत के अपने इलाके से पहले हरिद्वार और फिर किच्छा से चुनाव लड़ने पर भी तंज कसा। जनता को यह समझाने की कोशिश की कि इन्हें यहां से प्यार होता तो बाहर क्यों जाते। आश्चर्य की बात यह रही कि पीएम मोदी ने हल्द्वानी में राहुल गांधी का नाम ही नहीं लिया।

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह और अब पीएम मोदी ने हरीश रावत पर अटैक कर यह साफ कर दिया कि उत्त्तराखण्ड में असली मुकाबला पूर्व सीएम से ही है। चूंकि, हरीश रावत ही उत्त्तराखण्ड में चुनाव प्रचार को लीड कर रहे है लिहाजा भाजपा ने भी रणनीतिक बदलाव करते हुए हरीश रावत पर ही फोकस करना जरूरी समझा।

हल्द्वानी में पीएम मोदी की रैली में मोदी ने लखवाड़ व्यासी ,मानसरोवर मार्ग के अलावा पहाड़ में ढांचागत सुविधाओं में कमी का उल्लेख करते हुए कांग्रेस शासनकाल को जिम्मेदार तो बताया लेकिन राहुल गांधी व परिवार पर कोई राजनीतिक आक्रमण नहीं किया।  मोदी ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस को कठघरे में तो खड़ा किया लेकिन अपनी जुबान से कांग्रेस, राहुल व हरीश रावत का सीधे तौर ओर नाम नहीं लिया।

हल्द्वानी की रैली में भी प्रधानमंत्री ने उत्त्तराखण्ड विशेषकर कुमाऊं में की गई विकास योजनाओं का जिक्र किया। दून की तरह स्थानीय कुमाऊं की बोली में भी कुछ पंक्तियां कह ताली बजवा ली। धार्मिक व पर्यटन स्थलों के जिक्र के अलावा फ्रीडम फाइटर बद्रीदत्त पांडेय व कुली बेगार प्रथा खत्म करने उनके योगदान का जिक्र कर जनभावनाओं को प्रभावित करने की कोशिश की।

आज की हल्द्वानी रैली से यह भी साफ हुआ कि भाजपा उत्त्तराखण्ड में विकास योजनाओं के गुणगान के अलावा कांग्रेसी प्रचार के मुख्य कर्ता धर्ता हरीश रावत से जुड़े चर्चित पुराने मुद्दों की भी मतदाताओं को बराबर याद दिलाने की चुनावी रणनीति पर चल रही है।

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