ब्रेकिंग- डोबरा चांठी पुल बनाने वाले धरती पर उतारेंगे पीएम मोदी का सपना

प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बद्रीनाथ के पुनर्निर्माण का जिम्मा टिहरी लोनिवि के PIU डिवीजन को

डोबरा चांठी परियोजना क्रियान्वयन इकाई (PIU) करेगी बद्रीनाथ धाम का पुनर्निर्माण

इस डिवीजन का मुख्यालय जोशीमठ में होगा

टिहरी में कार्यरत कर्मी ही बद्रीनाथ व जोशीमठ में तैनात किए जाएंगे

प्रमुख अभियंता की अध्यक्षता में परियोजना सलाहकार समिति बनाई जाएगी

प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने जारी किए आदेश

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून।प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को अब डोबरा चांठी पुल बनाने वाले लोक निर्माण विभाग का टिहरी डिवीजन धरती पर उतारेगा। डोबरा चांठी परियोजना क्रियान्वयन इकाई (PIU) को इस बड़े सपने को साकार करने की जिम्मेदारी दे दी गयी है।

बद्रीनाथ मास्टर प्लान में ऐसा स्वरूप होगा श्री बद्रीनाथ धाम का


20 जुलाई, मंगलवार को बाकायदा लोनिवि के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने इसके आदेश कर दिए है। हालांकि, लोनिवि का गोपेश्वर डिवीजन बद्रीनाथ के करीब है लेकिन टिहरी के लोनिवि डिवीजन को प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने की अहम जिंम्मेदारी दी गयी है।

गौरतलब है कि बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान को लेकर शासन स्तर पर भारी कवायद चल रही है। पर्यटन सचिव स्थानीय लोगों से उनकी आशंकाओं पर वार्ता भी कर चुके हैं। एक समय स्थानीय स्तर पर विरोध भी देखा गया। लोगों का कहना है कि इससे बद्रीनाथ इलाके के पौराणिक स्वरूप पर विपरीत असर पड़ेगा। उधर, सरकार का कहना है कि तीर्थयात्रियों को पहले से अधिक सुविधाएं मिलेंगी। इस मुद्दे पर शासन ने विशेष योजनाएं बनाई है।

प्रमुख सचिव आर के सुधांशु के आदेश की मूल भाषा


डोबरा चांठी भारी वाहन सेतु परियोजना के अवशेष कार्यों को समयबद्ध रूप से पूर्ण कराये जाने हेतु परियोजना का क्रियान्वयन परम्परागत प्रणाली के स्थान पर प्रोजेक्ट मोड में किये जाने हेतु लोक निर्माण विभाग के कार्यालय आदेश द्वारा गठित “डोबरा चॉटी परियोजना क्रियान्वयन इकाई” (Dobra-Chanti Project Implementation Unit) को श्री बद्रीनाथ धाम के निर्माण / पुनर्निर्माण कार्य के त्वरित सम्पादन के लिए कार्यहित में तत्काल प्रभाव से निम्नानुसार स्थानान्तरित किया जाता है: प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने 20 जुलाई को यह आदेश जारी किए। इसके तहत निम्न प्रावधान किए गए हैं।

1. उक्त खण्ड का मुख्यालय जोशीमठ होगा।

2. PIU अस्थाई प्रकृति का होगा व टिहरी में कार्यरत कर्मिक ही जोशीमठ / बद्रीनाथ में तैनात होंगे।

3 उक्त PIU में कोई नये पद का सृजन नहीं किया जाएगा।

4. Out Source से भरे जाने वाले पद का व्यय भार Contingency से वहन किये जायेंगे। 5. PIU का नियंत्रण मुख्य अभियन्ता, पौड़ी द्वारा किया जायेगा।

6. PIU द्वारा कार्यों का संचालन / प्रबन्धन लो0नि0वि0 के अधीन वित्तीय हस्तपुस्तिका व प्रचलित विभागीय प्रणाली प्रबन्धन के अनुसार ही निर्दिष्ट किये जायेंगे।

7. अधीक्षण अभियन्ता, गोपेश्वर अपने पदीय दायित्वों के साथ मुख्य परियोजना प्रबन्धक के रूप में कार्य करेंगे व परियोजना के कार्यों के लिये Employer होंगे जो कि परियोजना का Supervision व अन्य विभागीय प्रक्रियाओं के लिये उत्तरदायी होंगे।

8. प्रमुख अभियन्ता की अध्यक्षता में एक परियोजना सलाहकार समिति होगी, जिसमें सदस्य के रूप में मुख्य अभियन्ता (पौड़ी). मुख्य अभियन्ता (ए०डी०बी०) एवं अधीक्षण अभियन्ता (गोपेश्वर) होंगे। उक्त समिति में अधीक्षण अभियन्ता (गोपेश्वर) सदस्य सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। यह समिति परियोजना की समीक्षा, निरीक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन करने हेतु उत्तरदायी होगी।

9. सचिव / प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, उत्तराखण्ड शासन Chief Project Co-ordinator होंगे, जो PIU को शासन व भारत सरकार के विभागों / PSU / PIU से अपेक्षित वित्तीय पोषण कराने व प्रभावी समन्वय एवं पर्यवेक्षण का कार्य करेंगे।

10. जोशीमठ में लोनिवि के उपलब्ध भवनों से ही कार्यालय का संचालन किया जायेगा।

2-  इसके अतिरिक्त Project Implementation Unit कार्य सम्पादन हेतु वित्तीय प्रबन्धन की  व्यवस्था इस प्रकार होगी:

1. PIU को आवंटित धनराशि PIU के Bank खाते के माध्यम से Transaction की जायेगी। PIU द्वारा देय धनराशि अथवा अन्य मद में व्यय का भुगतान चैक के माध्यम से सुनिश्चित की जायेगी।

2. बद्रीनाथ में तैनात होने वाले नियमित कार्मिकों का वेतन विभागीय बजट से दिया जायेगा, व समस्त सेवा लाभ पूर्ववत प्राप्त होंगे।

3. Out Source कार्मिकों का वेतन परियोजना की Contingency से वहन किया जायेगा ।

4. कार्यालय व्यय / वाहन आदि की व्यवस्था से सम्बन्धित व्यय परियोजना की Contingency से वहन किया जायेगा।

5. उक्त प्राविधानों के आलोक में निर्गत इस कार्यकारी आदेश का परियोजना से सम्बन्धित अन्य प्रभावी अनुबन्ध अथवा विभागीय कार्य प्रणाली सम्बन्धी दिशा-निर्देशों के संगत प्राविधानों पर अध्यारोही (Overriding) प्रभाव होगा।

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