UKSSSC ने तीन भर्ती परीक्षा कैंसिल की, अन्य पर मांगी विधिक राय

UKSSSC ने वन दरोगा, सचिवालय रक्षक और VDO/VPDO भर्ती परीक्षा कैंसिल की.आठ पर मांगी कानूनी राय

अविकल उत्तराखण्ड

देहरडून। उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग UKSSSC ने 11 वन दरोगा, सचिवालय रक्षक और VDO/VPDO भर्ती परीक्षा की निरस्त कर दी। यह परीक्षाएं फिर से कराई जाएंगी। जबकि आठ भर्तियों में शासन से विधिक राय ली जा रही है। आयोग के अध्यक्ष जी एस मर्तोलिया ने यह जानकारी दी।

उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा पूर्व में आयोजित 03 भर्ती परीक्षायें जिनकी स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा विवेचना की जा रही है , उन्हें निरस्त कर दिया गया है। जबकि 8 भर्ती परीक्षायें जिनका आयोग द्वारा परीक्षण कराया गया ,उनके बारे में कानूनी राय ली जा रही है।

विचार-विमर्श के फलस्वरूप इन परीक्षाओं की आगे की चयन प्रक्रिया के सम्बन्ध में आयोग ने खास निर्णय लिये ।

Uksssc अध्यक्ष गणेश मर्तोलिया


सहायक अध्यापक एल०टी० भर्ती परीक्षा 2020 (पदकोड-481) के आगे की चयन प्रक्रिया के सम्बन्ध में अवशेष विषयों का अभिलेख सत्यापन दिनांक 09 जनवरी, 2023 से प्रारंभ किया जायेगा।
(1) स्नातक स्तरीय परीक्षा परीक्षा की तिथि 04 05:12.2021 परिणाम 07.04.2022
(2) वन दरोगा
परीक्षा तिथि 16 से 25.07.2021
परिणाम 08.01.2022
(3) सचिवालय रक्षक परीक्षा तिथि 26.09.2021 परिणाम 22.04.2022 स्पेशल टास्क फोर्स की विवेचना के दौरान उक्त परीक्षाओं में प्रश्न पत्र पढ़ाने एवं “अन्य अनुचित साधनों के प्रयोग के मामले प्रकाश में आये है, जिसके पुष्ट प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त कई अन्य अभ्यर्थी भी इन प्रकरणो में सम्मिलित हुए होंगे, इसकी संभावना है। इससे स्पष्ट है कि उपरोक्त परीक्षाओं की पवित्रता दूषित हुई है।
उपरोक्त परीक्षाओं में निर्दोष अभ्यर्थियों तथा प्रश्न पत्र पढने व नकल करने वाले अभ्यर्थियों के मध्य विभेद (Segregation) करना संभव नहीं है, इसलिए पुर्न परीक्षायें करवाने का निर्णय लिया गया है।

  1. कनिष्ठ सहायक 2. वैयक्तिक सहायक कर्मशाला अनुदेशक
    पुलिस रेकर्स उपनिरीक्षक) 6. मत्स्य निरीक्षक
  2. वाहन चालक 5. 7. मुख्य आरक्षी दूर संचार
    अधिसूचना संख्या 63365/2022 दिनांक 14 सितम्बर, 2022 द्वारा प्रख्यापित उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग (कृत्यों का परिसीमन ) संशोधन विनियम 2022 में उपरोक्त भर्ती परीक्षायें लोक सेवा आयोग के अधीन किया गया है। इसमें अलग-अलग मत होने के कारण शासन से विधिक राय ली जा जा रही है, जिसके फलस्वरूप उक्त परीक्षाओं के सम्बन्ध में अग्रेतर कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।

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