केदार आपदा के बाद मोदी के पसंदीदा बने थे मौजूदा लोस महासचिव उत्पल

1986 बैच के आईएएस उत्पल कुमार सिंह काजल की कोठरी से बेदाग निकले

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। लोकसभा के महासचिव बने उत्पल कुमार सिंह उत्त्तराखण्ड शासन के महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद बेदाग बाहर निकले। नियमों की डोर पर चलने वाले उत्पल कुमार सिंह ने केदार आपदा के बाद पुनर्निर्माण के कार्यों में अपनी सक्रियता से प्रधान मंत्री मोदी का ध्यान खींचा। ये वो लम्हा था जब प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के संपर्क में था।

Ias utpal kumar singh
नये लोकसभा महासचिब उत्पल कुमार सिंह

2013 की आपदा के बाद केदार घाटी को संवारना राज्य सरकारों व केंद्र सरकार के फोकस में था। इसी बीच, उजड़ी केदार घाटी को नया स्वरूप देने में  उत्पल कुमार सिंह ने पीएम मोदी के निर्देशों को धरती पर उतारने का कार्य किया।

बीस साल के उत्त्तराखण्ड में कई उच्च पदस्थ अधिकारी अपनी कारगुजारियों से चार सौ बीसी का रिकार्ड बना गए। अकूत सम्पत्ति , जमीन व कई संस्थान खड़े कर चुके है कई अधिकारी। ऐसे भी मामले हुए कि कुछ अधिकारी चुपचाप वीआरएस ले पतली गली से निकल लिए। मौजूदा समय में भी कई अधिकारी सवालों के घेरे में है। नौकरशाही में भ्र्ष्टाचार राज्य की राजनीति का अहम मुद्दा रहा है। लेकिन साफ छवि के उत्पल कुमार सिंह काजल की कोठरी में बरसों बरस नौकरी करने के बाद  उत्त्तराखण्ड के शासन व आम जनता में अपनी साफ छवि बना गए।

यही वजह रही कि रिटायरमेंट के बाद अन्य नौकरशाहों की तरह उत्पल का उत्त्तराखण्ड में पुनर्वास नहीं किया गया। केंद्र की डिमांड पर पहले वो लोकसभा के सचिव बने और अब महासचिव जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी से नवाजा गया।

इससे पहले तक पूर्व मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह लोकसभा में सचिव पद पर थे। और अब 1 दिसंबर से लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1986 बैच के रिटायर्ड आईएएस उत्पल कुमार सिंह को कैबिनेट सचिव के रैंक के दर्जा सहित लोकसभा सचिवालय के महासचिव के पद पर नियुक्त किया । उन्होंने स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह ली।

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