डिग्री लेने और नौकरी के नियमों का कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया-डॉ मुकुल सती

डॉ सती के मामले में एसआईटी जांच का औचित्य नहीं-अपर मुख्य सचिव

एक ही साल में बीएड डिग्री व इंटर कालेज में शैक्षणिक कार्य  प्रकरण में डॉ मुकुल सती ने आरोपों को झूठा करार दिया

हर जांच में उन पर लगे आरोप निराधार पाए गए-डॉ सती

लोकायुक्त, संयुक्त शिक्षा निदेशक स्तर समेत अन्य जांच में कोई गड़बड़ी नहीं मिली-डॉ सती

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। एक ही साल में बीएड डिग्री व इंटर कालेज में शैक्षणिक कार्य प्रकरण में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ मुकुल सती ने अपनी बात रखते हुए सभी आरोपों को निराधार करार दिया है।

शुक्रवार को “अविकल उत्तराखण्ड” ने इस मसले को वॉयरल किया था।

डॉ सती ने कहा कि इस प्रकरण की पूर्व मे एक नहीं कई बार जांच हो चुकी है और हर बार जांच में उन पर लगे आरोपों को निराधार पाया गया है।

देखें 15 जुलाई 2022 को शासन ने क्या कहा

गौरतलब है कि 15 जुलाई 2022 को अपर मुख्य सचिव ने अपने आदेश में कहा है कि विभिन्न स्तरों पर हुई जांच में यह मामला निक्षेपित किया जा चुका है। लिहाजा, इस मामले में एसआईटी जांच का कोई औचित्य नहीं बनता। (देखें आदेश)

अपर मुख्य सचिव, मा० मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड शासन।
कृपया श्री मुकुल कुमार सती, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून के विरूद्ध श्री भाष्कर बृजवासी द्वारा की गयी विभिन्न शिकायतों के क्रम में मा0 मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त निर्देशानुसार प्रकरण का परीक्षण किया गया। परीक्षणोपरान्त पाया गया कि शिकायतकर्ता श्री भाष्कर बृजवासी द्वारा श्री मुकुल कुमार सती, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून के विरूद्ध विभिन्न स्तरों पर शिकायतें की गयी थी। उक्त शिकायतों के क्रम में पृथक-पृथक स्तर से जाँच समितियाँ गठित करते हुए शिकायतों को निराधार पाते हुए प्रकरण को निक्षेपित किया जा चुका है जिसका संक्षेप में विवरण संलग्न टिप्पणी में अंकित है।
अतः श्री मुकुल कुमार सती, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून के विरूद्ध श्री भाष्कर चन्द्र बृजवासी द्वारा की गयी शिकायतों में कोई नया तथ्य इंगित न किये जाने तथा पूर्व में सक्षम स्तरों से प्रकरणों के निक्षेपित किये जाने के दृष्टिगत (संलग्नक-1 से 13) प्रकरण में एस०आई०टी० अथवा अन्य किसी प्रकार की जॉच कराये जाने का कोई औचित्य नहीं पाया गया है ।
कृपया उपरोक्त से अवगत होने का कष्ट करें।
संलग्नक – यथोक्त
Laman रविनाथ रामन), सचिव

डॉ सती ने कहा कि शिकायतकर्ता दुर्भावना से पीड़ित है। लिहाजा, उन पर एक ही प्रकार का आरोप लगाकर बार-बार लगाए जा रहे हैं।


गौरतलब है कि शिक्षा सत्र 1989-90 में (प्रोक्सी के माध्यम से) कुमाऊं विश्व विद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में बीएड पाठ्यक्रम की संस्थागत डिग्री हासिल की गई है। जबकि इसी दौरान मुकुल कुमार सती वर्ष 1989-90 में हल्द्वानी के एचएन इंटर कालेज में जुलाई 1989 से लेकर मई 1990 तक प्रवक्ता रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के पद पर शिक्षण कार्य करते हुए हल्द्वानी में ही उपस्थिति देकर वेतन प्राप्त कर रहे थे।

2006 में लोकायुक्त का फैसला

डॉ सती ने कहा कि इस मामले की नवीन चन्द्र तिवारी निवासी तल्ला गोरखपुर हल्द्वानी, भाष्कर चन्द्र बृजवासी और प्रकाश चन्द्र भट्ट निवासीगण तल्ली बमोरी हल्द्वानी, नैनीताल द्वारा पूर्व में कई बार विभिन्न स्तर पर शिकायतें की जा चुकी हैं। लेकिन ताजा शिकायत एक बार फिर सितम्बर व अक्टूबर 2023 में जिला पंचायत के पूर्व सदस्य इंद्र सिंह परिहार ने राष्ट्रपति, सीएम सचिवालय और शासन को ई मेल के जरिए की है।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि पिछले कई सालों से इस मामले की जांच चल रही है लेकिन नतीजा सिफर रहा। राष्ट्रपति सचिवालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए 25 सितम्बर 2023 को मुख्य सचिव एसएस संधु को आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है।


डा. मुकुल कुमार सती का कहना है कि इस सम्बंध में वर्ष 2006 में लोकायुक्त से उनकी शिकायत की गई थी। जांच के बाद 21 नवम्बर 2006 को पारित आदेश में लोकायुक्त ने कहा है कि मुकुल कुमार सती की नियुक्ति 6 जुलाई 1990 को प्रवक्ता के पद पर हुई जबकि उनके द्वारा जून 1990 में बीएड की डिग्री प्राप्त की गई। लिहाजा, सती पर लगाए गए आरोप सही नहीं है और प्रकरण को समाप्त किया जाता है।

इसके बाद शासन ने 21 जुलाई 2010 और 15 नवम्बर 2010 को निदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड को प्रकरण की जांच के आदेश दिए। निदेशक ने तत्कालीन संयुक्त शिक्षा निदेशक डीके मलेथा को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए इस प्रकरण की जांच सौंपी। जांच पूरी होने के बाद मलेथा ने शासन को जांच आख्या सौंपी गई जिसमें मुकुल सती पर लगाए गए आरोपों को निराधार पाया गया।


इसके बाद भाष्कर चन्द्र ने फिर 12 सितम्बर 2019 को इसी मामले की शिकायत सीएम हेल्प लाइन में की जिसके बाद पुलिस उप महानिरीक्षक कुमाऊं मण्डल से प्रकरण की जांच करवाई गई, जिसमें सती पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई और प्रकरण को समाप्त कर दिया गया।

शिकायतकर्ताओं की ओर से बारम्बार की जा रही शिकायतों का सार एक जैसा होने और विभिन्न स्तरों से कराई गई उच्च स्तरीय जांच में शिकायतों की पुष्टि न होने के दृष्टिगत शासन ने 1 मई 2019 को इस पूरे प्रकरण को समाप्त मान लिया।

सती का कहना है कि 2019 में ही महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने भी कुमाऊं विश्व विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से प्रकरण की जांच का आग्रह किया था, जिसमें गठित तीन सदस्यीय जांच समिति मुकुल सती के अंक पत्र, प्रमाण पत्र, उपाधि आदि दस्तावेजों को मूल अभिलेखों से मिलान किया था जो सभी सही पाए गए और जांच समिति की ओर से सत्यापित भी किए गए।

डा. मुकुल सती का कहना है कि उन्होंने अपनी डिग्री लेने और नौकरी के नियमों का किसी प्रकार से उल्लंघन या फर्जीवाड़ा नहीं किया है। इस सम्बंध में उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार, बेबुनियाद हैं और दुर्भावना के चलते लगाए जा रहे हैं।

Pls clik-डॉ मुकुल सती से जुड़ा मामला क्या है,पढ़िए खबर

शिक्षाधिकारी के फर्जीवाड़े की जांच पर राष्ट्रपति सचिवालय के ई मेल से मचा हड़कंप

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *