अविकल थपलियाल
उत्तराखण्ड में बिजली कड़क रही है। घटाएं घिरी है। सावन जा रहा, भादों दरवाजे पर खड़ा है। बादल फट रहे। बिजली गिर रही। पहाड़ टूट रहे। सड़क साफ। जानमाल का नुकसान । नदियों के गहराते शोर के बीच पहाड़ों में एक और कोलाहल बरबस ध्यान खींच रहा।

आपदा के इस जलजले में राजनीतिक गलियारों में भी अजब शोर है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा जनता भी इस गूंज से अछूती नही है। गैरसैंण से शुरू हुआ यह शोर सीमांत पिथौरागढ़ में सुनाई दे रहा है।
इस साल उत्तराखण्ड के सीमांत इलाके पिथौरागढ़ में आपदा के कहर अन्य जिलों से ज्यादा है। उत्तराखण्ड में अक्सर होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बीच प्रदेश के कुछ नेता स्पॉट पर पहुंचने में देरी नही लगाते। इस कड़ी में भगत सिंह कोश्यारी का नाम बरबस याद हो आता है।
बड़े नेताओं के इस तरह प्रभावित इलाकों में पहुंचने से वास्तविक नुकसान का भी जायजा लग जाता है। जनता व पीड़ित समुदाय सभी से सीधा संवाद भी बन जाता है। और पुलिस-प्रशासन में कार्यों में भी तेजी देखने को मिलती है।

इधर, कोरोना काल में भी उत्तराखण्ड के कई इलाके आपदा से जूझ रहे हैं। सीमांत पिथौरागढ़ व चमोली जिले में व्यापक नुकसान की खबर है। पहाड़ दरक रहे हैं। बोल्डर की चपेट में वाहन आ रहे हैं। बादल फटने व भू स्खलन से जान माल की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
सरकार व विपक्ष के कितने बड़े नेता कब और किस समय मौके पर पहुंच रहे हैं। इस पर भी स्थानीय जनता की नजरें टिकी है। कौन कौन बड़े नेता अभी तक स्पॉट पर नही आये, यह शोर भी उठ रहा है। लेकिन फिलवक्त पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का आपदा प्रभावित पिथौरागढ़ के दुर्गम इलाके में जाने की खबर सुर्खियों में है।

कुछ दिन पूर्व गैरसैंण में त्रिवेंद्र सरकार की ग्रीष्मकालीन सरकार तलाशने के बाद 72 वर्षीय हरीश रावत सीधे पिथौरागढ़ के पीड़ित इलाके में पहुंच गए। भारी बरसात में टूटे फूटे पहाड़ी रास्तों को पार करते हुए पूर्व CM Hareesh rawat के वीडियो और चित्र वॉयरल हो रहे हैं। साथ में राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा भी छाता पकड़े कदमताल करते दिख रहे हैं। समर्थकों का हुजूम भी साथ चल रहा। कुछ कमेंट्री भी कर रहे। पीड़ितों से मिलने के अलावा चेहरे पर मास्क लगाए हरीश रावत प्राकृतिक आपदा पर त्रिवेंद्र सरकार की कमियां भी गिना रहे हैं। सोशल मीडिया पर हरीश रावत की इस आपदा यात्रा को live भी दिखाया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी इस आपदा यात्रा से प्रदेश सरकार के सामने नयी आपदा खड़ी कर रहे हैं। साफ इल्जाम लगा रहे है कि पीड़ितों की सुध नही ले रही सरकार। साथ ही अपनी पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेताओं को भी अपने होने का भी अहसास करा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह यह कहने से भी गुरेज नही कर रहे कि हरीश रावत के भाजपा सरकार की असफलता पर खुल कर चोट करने से कांग्रेस पार्टी को ही लाभ होगा।
फिर भी, हरीश रावत जन मुद्दों पर लीड लेने व भाजपा को घेरने का कोई भी ठोस मौका हमेशा लपकने में विश्वास रखते हैं। अब इस ताजी गैरसैंण व आपदा यात्रा से भाजपा किसी नई आपदा से रूबरू होती है या फिर स्वंय उनकी ही कांग्रेस पार्टी। यह मौजूं सवाल सावन की विदाई और भादों की दस्तक के बीच झूल रहा है।