नॉर्थ जोन पैडीकॉन-2022 में जुटे देश के शिशु रोग एक्सपर्ट्स

विशेषज्ञों ने शिशु रोगों के मॉर्डन उपचारों पर किया मंथन


श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ मंे 1000 से अधिक शिशु रोग विशेषज्ञों ने साझा की जानकारियां
राष्ट्रीय अधिवेशन में 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए
उत्तराखण्ड में इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का देहरादून में अब तक का सबसे बड़ा राष्ट्रीय अधिवेशन

अविकल उत्तराखंड


देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज के शिशु रोग विभाग एवम् इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आई.ए.पी.) की देहरादून शाखा के सहयोग से राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में किया गया। 11वीं नॉर्थ जॉन पैडीकॉन-2022 में शिरकत करने के लिए देश के 8 राज्यों से करीब 1000 डॉक्टर्स एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उतराखण्ड के लिए यह पहला अवसर है जब देहरादून में एक छत के नीचे इतने व्यापक पैमाने पर शिशु रोग विशेषज्ञ देश के कोने कोने से जुटे हैं।


शनिवार को श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज के सभागार में मेडिकल सैशन का शुभारंभ इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रमेश कुमार ने किया। पीडिया डाइनोमिक्स एण्ड कायनाटिक्स थीम पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में शिशु रोग विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिशु रोगों से जुड़े आंकड़ांे, शिशुओं से सम्बन्धित बीमारियों की रोकथाम व उपचार पर विचार सांझा किये। दुनिया भर में शिशुओं से सम्बन्धित बीमारियों उनके रोकथाम व उपचार सम्बन्धित विषयों पर शोधार्थियों ने करीब 400 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किये। राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्देश्य समसामियक शिशु रोगों के उपचार से सम्बन्धित अत्याधुनिक उपचार पद्धतियों जानना समझना व उनका आदान प्रदान करना है।


इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रमेश कुमार ने छाती एवम् श्वास रोगों में एंटीबायोटिक्स दवाओं के उपयोग, महत्व एवम् प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए शोध कार्योंं को रेखांकित करते हुए कहा कि अत्यधिक एंटीबायोटिक्स के उपयोग से बचना चाहिए। लोगों द्वारा एंटिबायोटिक्स का बिना चिकित्सक की सलाह के उपयोग गम्भीर विषय है। विश्व स्तर के कई बडे़ शोध इस निष्कर्ष की ओर से इशारा कर रहे हैं। मानव शरीर पर कई एंटीबायोटिक्स बेअसर हो चुकी हैं, आपातकालीन स्थिति में डॉक्टर के पास बहुत कम विकल्प एंटीबायोटिक्स के रूप में बचते हैं, यह भी एक गम्भीर समस्या है।


इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के वर्ष 2021 राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पीयूष गुप्ता ने बाल विकास एवम् शिशु पोषण से जुड़े मेडिकल, वैज्ञानिक एवम् व्यावहारिक बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में बाल कुपोषण के मामले बेहद चिंताजनक हैं। बाल कुपोषण एवम् बाल विकास का विषय वैश्विक स्तर पर भी चिंताजनक है। शिशुओं के सर्वांगीण विकास में देश की सरकारों, माता-पिता समाज व शिशु रोग विशेषज्ञों की अपनी अपनी भूमिका है।

इन सभी को एक रेखा में आकर सामुहिक प्रयास करने होंगे।
शाम को आयोजित सैशन का शुभारंभ केबिनेट मिनिस्टर रेखा आर्य ने किया. बाल विकास एवम महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि समाज को सही व नई दिशा देने में डॉक्टरों का योगदान अति महत्वपूर्ण है.डॉक्टरी का पेशा सेवा भाव से जुड़ा है. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से नॉर्थ जोन से पधारे सभी डॉक्टरों का आभार एवम अभिनंदन किया।


इण्डियन एकेडमी ऑफ पीडियोट्रिक्स (आई.ए.पी) उत्तराखण्ड इकाई के अध्यक्ष डॉ राजीव श्रीवास्तव ने देश भर से उत्तराखण्ड पधारे सभी शिशु रोग विशेषज्ञों का स्वागत किया व आभार जताया। आई.ए.पी. देहरादून शाखा के अध्यक्ष डॉ सुमित वोहरा ने कहा कि यह आई.ए.पी. देहरादून के लिए गर्व की बात है कि आप सभी के सहयोग से राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन देवभूमि उत्तराखण्ड के देहरादून में सम्भव हो सका है। राष्ट्रीय अधिवेशन के सफल आयोजन पर उन्होंने सभी सहयोगी साथी डॉक्टरों का आभार जताया।


इस सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष डॉ हरेन्द्र सिंह एवम् विनीत सक्सैना राष्ट्रीय सचिव आई.ए.पी. के दिशा निर्देशन एवम मार्गदर्शन से आयोजक सचिव डॉ उत्कर्ष शर्मा, डॉ श्रुति कुमार, डॉ आशीष सेठी, डॉ तन्वी खन्ना, डॉ यूवीअशांक ऐरन एवम् सम्पूर्णं आई.ए.पी उत्तराखण्ड राज्य एवम् आइ.ए.पी. देहरादून के सदस्यों द्वारा यह सम्मेलन उत्पादित किया गया।


उत्कृष्ट कार्यों के लिए शिशु रोग विशेषज्ञों को किया सम्मानित
शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने वाले डॉक्टरों को कार्यक्रम में सम्मानित किया। विशेषतः डॉ के.एन. लखेड़ा, डॉ के के अग्रवाल, डॉ दीवान सिंह, डॉ किरन कॉलरा को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इन सभी शिशु रोग विशेषज्ञों के योगदान की सराहना करते हुए इनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

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