सत्ता के दबाव में पुलिस ने विधायक नेगी को क्लीन चिट दी-पीड़िता

सेक्स स्कैंडल- पुलिस जांच पर उठे सवाल

भाजपा का बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ का सच सामने आया

सेक्स प्रकरण में फंसे भाजपा विधायक महेश नेगी के मसले पर धामी सरकार को कठघरे में खड़ा किया

नये सिरे से मामले की जांच की मांग

सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की जंग लड़ूंगी

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। सेक्स स्कैंडल में फंसे भाजपा विधायक महेश नेगी को पुलिस जांच में क्लीन चिट मिलने पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं । पीड़िता ने कहा कि सत्ता के दबाव में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाई है। पीड़िता ने कहा कि उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा किस मुद्दे पर वे सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ेंगी। पीड़ित ने कहा कि पुलिस की एकतरफा फाइनल रिपोर्ट से भाजपा का बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ का सच सामने आ गया है।

पीड़िता

पीड़िता ने कहा कि पुलिस जांच में उनके व विधायक के कई जगह साथ रहने की पुष्टि हो चुकी है। सिनर्जी हॉस्पिटल में भी विधायक ने उनका इलाज करवाया। पुलिस ने जॉच में तथ्यों की अनदेखी की है।

पीड़िता ने फिर दोहराया कि उसकी बेटी का पिता भाजपा विधायक महेश नेगी है। और फिर बिना डीएनए जांच के पुलिस कैसे फाइनल रिपोर्ट लगा सकती है। इसके अलावा उसकी बेटी की ओर से भी भरण पोषण का मुकदमा दर्ज किया हुआ है। पीड़िता ने नये सिरे से पुलिस जांच की मांग की है।

पीड़िता ने कहा कि पुलिस ने सत्ता के दबाव में गुपचुप ढंग से 5 नवंबर को ही फाइनल रिपोर्ट लगा दी। और कोर्ट व उन्हें फाइनल रिपोर्ट की प्रति तक उपलब्ध नही करायी।

इधर, पीड़िता के वकील एसपी सिंह ने कहा कि जबरदस्ती बलात्कार करने के बावजूद भी  पीड़िता की ओर से दी गयी शिकायत पर पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी मजबूर हो कर पीड़िता को  माननीय न्यायालय की शरण  लेनी पड़ी थी।

माननीय न्यायालय के आदेश के बाद मजबूर हो कर थाना नेहरू कॉलोनी पुलिस को अभियुक्त गण महेश नेगी और  उसकी पत्नी रीता नेगी के विरुद्ध 5/ 6 सितम्बर को धारा 376,506IPC के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी।

वकील ने कोर्ट के आदेश होने के पश्चात्‌ शुरू से ही पुलिस जांच पर संदेह होने के कारण और पीड़िता को पूर्ण विश्वास था कि भाजपा के वर्तमान विधायक होने के कारण महेश नेगी को पूरी सरकार व पुलिस  प्रशासन का पूरा सहयोग प्राप्त है। इस कारण पीड़िता की ओर से शुरू में ही मुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन को एक प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया था ये प्रार्थना पत्र इस आशय का प्रेषित किया गया कि पुलिस द्वारा जांच ना करवाई जाये बल्कि विधायक महेश नेगी के विरुद्ध दर्ज की गयी रिपोर्ट की जांच CBI द्वारा करवाई  जाये ।

भाजपा विधायक महेश नेगी

वकील एसपी सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा पीड़िता के  CBI द्वारा जांच कराने हेतु प्रार्थना पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो मजबूर हो कर पीड़िता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड में CBI से जांच करवाने हेतु एक रिट याचिका दाखिल की गयी । इन सभी तथ्यों से स्पष्ट होता है कि पुलिस प्रशासन पर सरकार का दबाव बनता गया महेश नेगी के विरुद्ध दर्ज की गयी रिपोर्ट मे पुलिस द्वारा सही जांच नहीं की गयी है और अभियुक्त गण महेश नेगी और उनकी पत्नी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया बल्कि फ़ाइनल रिपोर्ट लगा दी गयी है।

यहां पर एक प्रश्न उठता है कि बलात्कार की रिपोर्ट की जो विवेचना अधिकारी SI दीक्षा सैनी जांच कर रही थी उन्होंने शुरू में स्वयं माननीय न्यायालय सीजेएम देहरादून में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था जिसमें महेश नेगी का DNA जाँच करवाने हेतु प्रार्थना की गयी थी। माननीय CJM कोर्ट द्वारा दिनांक 18/12/2020 को आदेश पारित किया गया और विधायक महेश नेगी को तथा पीड़िता की पुत्री कुमारी अनन्या को प्रार्थना पत्र मे DNA की जांच कराने कर आदेश दिए गए थे।

एक तरफ जाँच अधिकारी SI दीक्षा सैनी अभियुक्त महेश नेगी का DNA जाँच कराने हेतु प्रार्थना पत्र देती है और बिना DNA जाँच के वही SI दीक्षा सैनी उक्त प्रकरण में फ़ाइनल रिपोर्ट लगा देती है इससे भी स्पष्ट होता है कि SI दीक्षा सैनी की जांच संदेह के घेरे मे है, जब तक महेश नेगी की DNA की जांच नहीं होगी तो SI दीक्षा सैनी जाँच को अधूरा छोड़ कर अंतिम रिपोर्ट कैसे लगा सकती है ।

यह एक संदेह का प्रश्न है। अंतिम रिपोर्ट दिनाँक 05/11/2021 को दाखिल की गयी थी लेकिन आज तक अंतिम रिपोर्ट की कोई प्रतिलिपि पीड़िता को प्राप्त नहीं  हुयी है और ना ही माननीय न्यायलय के समक्ष दाखिल की गयी है। अंतिम रिपोर्ट लगाने के पश्चात कानूनन वह अंतिम रिपोर्ट तब तक मान्य नहीं होती है जब तक माननीय न्यायलय उस अंतिम रिपोर्ट को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर लेती और स्वीकार करने के आदेश पारित नहीं करती तब वह अंतिम रिपोर्ट फाइनल नहीं मानी जा सकती है। अभी  माननीय न्यायालय द्वारा पीड़िता को अंतिम रिपोर्ट के विरुद्ध आपत्ति दाखिल करने हेतु नोटिस जारी होंगे, पीड़िता की ओर से आपत्ति दाखिल करी जाएगी और उक्त प्रकरण में पूर्णतः सम्भव है कि Reinvestigation के आदेश माननीय न्यायलय पारित करेगी ।

माननीय उच्च न्यायलय में उक्त प्रकरण की CBI से जांच कराने हेतु पीड़िता की ओर से दाखिल की गयी रिट याचिका अभी विचाराधीन है और उसमे बहस हेतु दिनाँक 13/01/2022 नियत की गयी है बहस के उपरांत माननीय उच्च न्यायलय स्वयं ही उक्त प्रकरण की CBI द्वारा या किसी अन्य एजेंसी द्वारा जांच कराने हेतु आदेश पारित कर सकती है।

Pls clik-सेक्स स्कैंडल- पुलिस ने ‘बरी’ किया भाजपा विधायक नेगी को

सेक्स स्कैंडल- पुलिस रिपोर्ट में विधायक व पत्नी को क्लीन चिट

IMA parade 2021

IMA परेड- जनरल बिपिन रावत ने आईएमए का गौरव बढ़ाया -राष्ट्रपति

विस सत्र- आजादी के अमृत महोत्सव की चर्चा में बरसा विष

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *