आल वेदर रोड – केंद्र सरकार पुनः सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करे। chardham project

चारधाम सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर से कम होने पर युद्धकाल में दिक्कत होगी

टैंक व बख्तरबंद वाहनों के आवागमन में होगी परेशानी, BRO की जिम्मेदारी है सीमा सड़क निर्माण

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है जिसमे उसने उत्तराखंड की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना के अंतर्गत पहाड़ों पर सड़कों की चौड़ाई साढ़े पाँच मीटर से अधिक रखने पर रोक लगा दी है ।

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जो लोग बदरीनाथ यात्रा पर गये हैं उन्होंने वहाँ पर सेना की चेकपोस्ट भी देखी होंगी । माणा गाँव के आगे सरस्वती गॉर्ज है जहाँ से बाँयें रास्ता अलकनंदा के उदगम की ओर वसुधारा प्रपात को चला जाता है जबकि सीधे बहुत ऊबड़ खाबड़ दर्रा है जो चीन सीमा को निकल जाता है जहाँ गस्तोली में भारतीय सेना की अंतिम चौकी है ।

Chardham project
लेखक, राजकमल गोस्वामी
Chardham project all weather road

भारत-चीन सीमा पर ऊँचे पहाड़ों के बीच जहाँ भी छोटे मोटे दर्रे हैं वहाँ भारतीय सेना की तैनाती चली आ रही है । अगर कोई समझता है कि सरकार ने बदरीनाथ के लिये यह शानदार सड़क बनवाई है तो वह गलतफहमी में है । चीन सीमा को जाती हुई ये सड़क सीमा सड़क संगठन ने बनाई हैं जो प्रधानमंत्री की निगरानी में सीमा सड़क विकास बोर्ड के अधीन काम करता है ।

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सन 62 के चीन युद्ध से पहले ही  देश की उत्तरी सीमाओं को ख़तरा और असुरक्षा सरकार की जानकारी में आ गई थी । सन 60 में ही सीमा सड़क संगठन की स्थापना हो गई थी । 1962 के युद्ध में चीन ने उत्तराखंड के भी बड़े भूखंड बाराहोती पर कब्जा कर लिया था और आज भी कब्जा जमाये बैठा है । पहले लोग चार धाम की यात्रा पर जाते थे तो अपना श्राद्ध कर के जाते थे । लौटने का कोई भरोसा नहीं था ।  जंगली जानवर , मौसम,भूस्खलन जैसे अनेक खतरे रहते थे ।

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सीमा सड़क संगठन ने सीमाओं तक पहुँच बड़ी आसान कर दी है । इसके बुलडोज़र अफ़ग़ानिस्तान से बर्मा तक दिन रात काम में लगे रहते हैं । भारतीय सेना का यह सहयोगी संगठन है और बुलडोज़र चलाने वाले भी शौर्य चक्र से सम्मानित हो चुके हैं । इसका मूल काम तो सीमा तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करना है ताकि दुर्दम्य पड़ोसी से युद्ध की स्थिति में सप्लाई लाइन न टूटने पाये । उत्तराखंड का विकास और पर्यटकों को सुविधा तो इसका आनुषांगिक लाभ है जैसे कैंट इलाके की हरियाली का आनंद शहरवासी भी उठा लेते हैं ।

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दूसरी ओर,हिमालय संसार का सबसे नया पहाड़ है जहाँ सर्वाधिक भूस्खलन होते रहते हैं । गोमुख जाइये तो भोजवासा के आगे स्टोन फालिंग ज़ोन जहाँ विशालकाय पत्थर ऊपर गिर कर किसी भी यात्री के आयतन को क्षेत्रफल में बदल सकते हैं । ऐसे कच्चे पहाड़ पूरे हिमालय में जगह जगह पर हैं । वहाँ सड़कें बनती हैं तो पहाड़ और कमज़ोर होते हैं , बड़ी बड़ी लोहे की जाली लगा कर पत्थरों को गिरने से रोका जाता है लेकिन फिर भी पहाड़ दरकते हैं और सड़क बंद हो जाती है । फिर बुडोज़र मलबा हटाता है । पर्यावरण को नुकसान तो होता ही है ।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश अपनी जगह है और चीन से ख़तरा अपनी जगह । साढ़े पाँच मीटर की चौड़ाई टैंकों और बख़्तरबंद गाड़ियों के लिये बहुत कम है । युद्धकाल में समय रफ्तार और आयुध देश के भाग्य का निर्धारण कर देते हैं ।

भारत सरकार को इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विलोकन याचिका डाल कर एक बार पुन: अनुरोध करना चाहिये । अगर सुप्रीम कोर्ट फिर भी अडिग रहता है तो भारत को चीन के आगे हथियार डाल देने चाहिये । युद्ध का इरादा छोड़ कर कोई सम्मान जनक समझौता ही कर लेना चाहिये ।

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सुप्रीम कोर्ट-आल वेदर चारधाम प्रोजेक्ट- सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर से अधिक नही होनी चाहिए

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